बाड़मेर में खेजड़ी कटाई पर भड़के भाटी: 'एक ओर पेड़ माँ के नाम पर, दूसरी ओर हज़ारों पेड़ों का कत्ल!'

Monday, 4 August 2025 ·

 बाड़मेर में खेजड़ी के पेड़ों की कटाई पर हंगामा: विधायक रविंद्र सिंह भाटी बोले – “एक तरफ़ पेड़ों को माँ का दर्जा, दूसरी तरफ़ हज़ारों पेड़ों का कत्ल!”



बाड़मेर, राजस्थान |

बाड़मेर ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र में बीते दिनों जो हुआ, उसने न केवल पर्यावरण प्रेमियों को झकझोर दिया, बल्कि आम ग्रामीणों के दिलों में भी गहरी पीड़ा भर दी। खेतों में सोलर प्रोजेक्ट लगाने के नाम पर हज़ारों खेजड़ी के पेड़ों को काटकर जला दिया गया। और जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें पुलिस की धमकियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ा हुआ एक नाम है – रविंद्र सिंह भाटी, शिव क्षेत्र के निर्दलीय विधायक, जिन्हें आज ग्रामीण “गरीबों का मसीहा” कहकर बुला रहे हैं।

खेजड़ी – एक पेड़ नहीं, प्रकृति की पूजा

राजस्थान में खेजड़ी को सिर्फ़ पेड़ नहीं, बल्कि माँ माना जाता है। ये पर्यावरण, मिट्टी, पशुओं और लोगों के जीवन से सीधे जुड़ा है। लेकिन दुख की बात है कि जिन पेड़ों को माँ का दर्जा देकर सरकार एक-एक पौधा "किसी महिला के नाम पर" लगा रही है, उसी सरकार के संरक्षण में हज़ारों पेड़ काटे और जलाए जा रहे हैं।

रविंद्र सिंह भाटी ने सरकार से तीखा सवाल पूछा: “एक तरफ़ आप पेड़ को माँ बता रहे हो, और दूसरी तरफ़ माँ के नाम पर हज़ारों पेड़ काट रहे हो? ये दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?

पुलिस से सीधा सवाल – किस दबाव में हो? विधायक भाटी ने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से भी पूछा: आप क्यों किसी के दबाव में काम कर रहे हो? न्याय के साथ खड़े रहिए। आप भगवान के नाम पर अत्याचार कर रहे हैं – इससे बड़ा पाप क्या होगा?   ग्रामीणों के सामने उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि यदि पुलिस व प्रशासन इस तरह से सोलर कंपनियों का साथ देंगे और मासूम किसानों का शोषण होता रहेगा, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

धरना और रात्री विश्राम वहीं – जहां अन्याय हुआ    रविंद्र सिंह भाटी न केवल विरोध दर्ज कराने पहुंचे, बल्कि उन्होंने वहीँ धरना दिया और उसी स्थान पर रात्री विश्राम भी किया, जहाँ खेजड़ी के पेड़ जलाए गए थे। उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया: जब तक न्याय नहीं मिलेगा, मैं पीछे नहीं हटूंगा। गरीबों की आवाज़ बनकर लड़ाई लड़ता रहूंगा।



प्रशासन और कंपनियों को चेतावनी

उन्होंने सख़्त लहजे में कहा कि – अगर एक भी पेड़ और काटा गया या किसी भी ग्रामीण को धमकाया गया, तो मैं पूरे राजस्थान में यह मुद्दा उठाऊंगा और सड़कों पर उतरूंगा।


✊ रविंद्र सिंह भाटी की भूमिका: जनता की आवाज़

रविंद्र सिंह भाटी केवल एक विधायक नहीं हैं, बल्कि वे उस संवेदनशील नेता की छवि बन चुके हैं जो बिना किसी राजनीतिक दल के समर्थन के, सीधे जनता की ज़मीन से उठकर आया है। बतौर निर्दलीय विधायक, उन्होंने बार-बार ऐसे मुद्दों को उठाया है जिन्हें अन्य राजनेता अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
चाहे वह किसानों की ज़मीन का मुआवज़ा हो, सरकारी दमन हो या पर्यावरण का प्रश्न — भाटी ने हर बार साफ तौर पर आम जनता का पक्ष लिया है। उनका ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठना, रात भर वहीं रुकना, और प्रशासन को चुनौती देना यह दर्शाता है कि वह अपने राजनीतिक स्वार्थ से परे जाकर गरीब, शोषित और पीड़ितों के पक्ष में खड़े होते हैं।

उनका कहना है – "अगर जनप्रतिनिधि जनता के बीच नहीं रहेगा, तो फिर उसकी कुर्सी का कोई मूल्य नहीं।" उनकी लोकप्रियता का कारण यही है कि वे केवल भाषण नहीं, बल्कि कर्म से भरोसा दिलाते हैं।


🌱 राजस्थान का खेजड़ी आंदोलन: पर्यावरण की रक्षा की परंपरा

राजस्थान की मिट्टी ने कई बार पर्यावरण की रक्षा के लिए अद्वितीय आंदोलन देखे हैं — जिनमें सबसे ऐतिहासिक रहा 'खेजड़ी आंदोलन'। 18वीं शताब्दी में जोधपुर के खेजड़ली गाँव में अम्मृता देवी बिश्नोई और उनके साथ 363 लोगों ने खेजड़ी के पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनका प्रसिद्ध कथन था —

"सिर साँचे रुख रहे तो भी सस्तो जाण।" (अगर सिर कट जाए लेकिन पेड़ बच जाए, तो भी सस्ता सौदा है।)

यह आंदोलन केवल राजस्थान ही नहीं, पूरे भारत में पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बन गया। उसी भावना का विस्तार हम आज बाड़मेर के इस नए संघर्ष में देख रहे हैं — जहाँ ग्रामीण पेड़ों को कटने से रोकना चाहते हैं, और विधायक भाटी उनके साथ खड़े हैं। खेजड़ी न केवल एक पेड़ है, बल्कि यह मरुस्थल का जीवन रक्षक है — यह जल, छाया, चारा और मिट्टी के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि इस भावना को दबाया गया, तो यह केवल पेड़ नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी नुकसान होगा।

निष्कर्ष: पेड़ों की आड़ में सत्ता और पूंजी का खेल?यह सिर्फ़ पर्यावरण का मामला नहीं है। यह उस व्यवस्था का चेहरा है, जहाँ विकास के नाम पर प्राकृतिक विरासत, आम लोगों का अधिकार और ग्रामीणों की भावनाएँ कुचली जा रही हैं।

रविंद्र सिंह भाटी जैसे नेता जब सामने आते हैं तो यह उम्मीद जगती है कि लोकतंत्र में आवाज़ें अब भी ज़िंदा हैं



News Update

Powered by Blogger.

जापान की Mayumi बनी Rajasthani कलाकार Madhu – एक सच्ची कहानी

  प्रस्तावना जब किसी विदेशी व्यक्ति को भारत का लोक-संस्कृति इतना भा जाए कि वह अपनी पहचान ही बदल दे – तो यह अपने आप में एक प्रेरणादायक कहानी...

Contact Form

Name

Email *

Message *

Contact Form

Name

Email *

Message *

Search This Blog

Labels

Labels

Comments

{getWidget} $results={3} $label={comments}

Advertisement

Recent Posts

{getWidget} $results={4} $label={recent}

JSON Variables