पेड़ों की लाशें मिली ज़मीन में! विधायक भाटी ने रात भर किया पहरा, भाटी ने JCB से उखाड़कर किया बड़ा खुलासा
राजस्थान के बाड़मेर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां सोलर कंपनियों ने खेजड़ी जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पेड़ों को रात के अंधेरे में काटकर ज़मीन में दबा दिया। इस घटना के विरोध में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने मौके पर पहुँच कर न सिर्फ ज़मीन खुदवाई, बल्कि एक-एक दबी हुई खेजड़ी को बाहर निकलवाया।
🌳 खेजड़ी को दबाना: प्रकृति के साथ खिलवाड़
खेजड़ी का पेड़ राजस्थान के मरुस्थलीय जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल पर्यावरण को संतुलित रखता है, बल्कि पशुओं के चारे, मिट्टी के संरक्षण और जलवायु नियंत्रण में भी योगदान देता है। ऐसे में रातों-रात इन पेड़ों को काटना और ज़मीन में गाड़ देना सीधे तौर पर पर्यावरण और कानून दोनों का उल्लंघन है।
🚜 विधायक ने बुलवाई JCB, खुद करवाया खुदाई
विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जब इस पूरे मामले की जानकारी ली तो वे तुरंत मौके पर पहुंचे और JCB मशीन बुलाकर खुदाई शुरू करवाई। एक-एक कर जब खेजड़ी के पेड़ मिट्टी से बाहर निकाले गए, तो उन्होंने पुलिस से साफ शब्दों में कहा —
"इन निकाली गई खेजड़ियों को मैं खुद कलेक्टर को सौंपूंगा ताकि सभी की आंखें खुलें।"
उनका यह प्रयास न केवल प्रतीकात्मक था, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि नेता वही जो ज़मीन पर उतरे।
🎤 देसी अंदाज़ में बड़ी बात
भाटी ने देसी अंदाज में मीडिया से बात करते हुए कहा — "आजकल पेड़ों के भी पैर आ गए हैं, अगर हम नहीं निकाले तो ये खेजड़ियाँ भाग जाएंगी!"
उनकी बात व्यंग्य में भले ही कही गई हो, लेकिन उसमें सत्य की तीखी चुभन थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे मौके पर नहीं रहते, तो संभव है पुलिस और कंपनी मिलकर सारे सबूत मिटा देते।
🌙 रातभर सोए धोरों में
खास बात यह रही कि भाटी ने उस स्थान पर ही रात भर धोरों में ग्रामीणों के साथ विश्राम किया, जहां पेड़ जलाए गए थे। उन्होंने कहा —
"मुझे डर है कि पुलिस और कंपनी मिलकर फिर कुछ कर सकती है, इसलिए मैं यहीं रुकूंगा।"
ऐसे जमीनी नेता बहुत कम देखने को मिलते हैं जो अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनता, पर्यावरण और न्याय के लिए खड़े होते हैं।
हालांकि पुलिस प्रशासन का पक्ष अभी तक स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें धमकाया गया। विधायक भाटी ने पुलिस अधिकारियों से भी सवाल किया कि वे क्यों किसी के दबाव में आकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा —
"आप न्याय के साथ खड़े रहें, भगवान के नाम पर इतना अत्याचार मत करें।"
📝 निष्कर्ष
बाड़मेर की यह घटना केवल पर्यावरणीय चिंता नहीं, बल्कि नीतियों, प्रशासन और न्याय के संतुलन की कसौटी भी है। जब देश में नेता ज़मीन पर उतरकर आम जनता के लिए लड़ते हैं, तब लोकतंत्र का असली अर्थ सामने आता है।
रविंद्र सिंह भाटी जैसे नेता इस दौर में उम्मीद की किरण हैं।