भारत का गांव: परंपरा और प्रगति का संगम

الأربعاء، 4 يونيو 2025 ·

 


लेखक: Mahir Rathore | प्रकाशित: जून 2025


🔷 प्रस्तावना

भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। देश की लगभग 65% आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। आज का गांव सिर्फ बैलों की खेती और कच्चे रास्तों तक सीमित नहीं है—बल्कि यह बदलाव, आत्मनिर्भरता और डिजिटल युग में प्रवेश का प्रतीक बन चुका है।


🔹 शिक्षा का उजाला

पहले जहां बच्चों की स्कूल में उपस्थिति कम रहती थी, अब गांवों में स्मार्ट क्लास, मोबाइल लर्निंग और महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

सरकारी और निजी प्रयासों से गाँवों में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की पहुँच तेज़ी से बढ़ी है।


🔹 साफ-सफाई और स्वास्थ्य की जागरूकता

स्वच्छ भारत अभियान के प्रभाव से कई गाँव खुले में शौच से मुक्त हुए हैं। पंचायत स्तर पर अब स्वास्थ्य शिविर, टीकाकरण और पोषण आहार वितरण नियमित रूप से हो रहे हैं।

गांव की महिलाएं अब सैनिटेशन और पोषण के प्रति जागरूक हो रही हैं।


🔹 डिजिटल गांव: तकनीक की ओर कदम

अब गांवों में भी इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग, डिजिटल राशन कार्ड, और ई-गवर्नेंस सेवाएं पहुंच रही हैं। CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से लोग ऑनलाइन फॉर्म भरने, बिजली बिल जमा करने और सरकारी योजनाओं की जानकारी लेने लगे हैं।


🔹 कृषि में आधुनिकता

खेती में अब पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक मशीनों और जैविक खेती का समावेश हो रहा है।

किसानों को मोबाइल के माध्यम से मौसम की जानकारी, फसल बीमा, और उन्नत बीजों की जानकारी मिल रही है।


🔹 रोजगार और स्वरोजगार

मनरेगा, स्टार्टअप ग्राम योजना और PMEGP जैसे कार्यक्रमों से गांवों में भी स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है। महिलाएं अब स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाकर छोटे व्यवसाय जैसे अगरबत्ती, सिलाई, मुर्गी पालन आदि में संलग्न हैं।


🔹 गांव की बेटियाँ बनीं मिसाल

आज गाँव की बेटियाँ भी पीछे नहीं हैं। कोई UPSC क्रैक कर रही है, तो कोई खेलकूद में देश का नाम रोशन कर रही है।

अभिभावक अब लड़कियों को स्कूल भेजने से कतराते नहीं बल्कि उन पर गर्व करते हैं।


🔹 सांस्कृतिक धरोहर बनी पहचान

गाँवों की सांस्कृतिक पहचान—जैसे मेलें, लोक गीत, त्योहार, नृत्य—आज भी जीवित हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखे हुए हैं।

कुछ गाँवों में अब ईको-टूरिज़्म और होम-स्टे जैसी योजनाओं से आजीविका के नए रास्ते खुले हैं।


🔚 निष्कर्ष

आज का गांव न केवल परंपराओं को संजोए हुए है, बल्कि आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिला रहा है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत का हर गांव डिजिटल, स्वच्छ, शिक्षित और आत्मनिर्भर होगा।


👉 आपके गांव में क्या बदलाव आया? कमेंट करके जरूर बताएं!

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