जोधपुर का इतिहास: एक शाही शहर की विरासत और गौरवपूर्ण अतीत
जोधपुर का इतिहास: एक समृद्ध विरासत की कहानी
राजस्थान की मरुभूमि में बसा जोधपुर न केवल अपनी नीली गलियों और ऐतिहासिक किलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति और परंपराएं इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शहरों में स्थान दिलाती हैं। आइए जानते हैं जोधपुर के इतिहास से जुड़ी वह बातें जो इसे अद्वितीय बनाती हैं।
🔸 जोधपुर की स्थापना कैसे हुई?
जोधपुर की स्थापना सन् 1459 में राव जोधा ने की थी, जो राठौड़ वंश के एक शक्तिशाली शासक थे। राव जोधा ने मंडोर से राजधानी को हटाकर एक नए शहर की नींव रखी, जिसे बाद में जोधपुर नाम मिला। यह नगर "मरवाड़" राज्य की राजधानी बना और समय के साथ राजनीतिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बन गया।
🔸 राठौड़ वंश की भूमिका
राठौड़ वंश को जोधपुर के इतिहास में एक खास स्थान प्राप्त है। वे खुद को रामायण के पात्र राजा राम के वंशज मानते थे। इनकी शासन प्रणाली काफी संगठित थी और उन्होंने युद्ध, किले निर्माण और कला के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया। विशेष रूप से मेहरानगढ़ किला, जो आज भी जोधपुर का प्रमुख आकर्षण है, राव जोधा द्वारा बनवाया गया था।
🔸 मेहरानगढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व
मेहरानगढ़ किला जोधपुर के इतिहास की एक जीवित मिसाल है। यह किला लगभग 400 फीट ऊँची चट्टान पर स्थित है और पूरे शहर को निगरानी में रखता है। किले के भीतर कई महल हैं जैसे:
फूल महल
शीश महल
मोती महल
इन महलों में उस समय की राजसी जीवनशैली, आभूषण, शस्त्र और भित्तिचित्रों को देखा जा सकता है।
🔸 मुगलों और ब्रिटिश काल में जोधपुर
मुगल काल में जोधपुर ने कभी संघर्ष किया तो कभी मैत्री भी की। अकबर के समय राठौड़ वंश के कई शासकों ने मुगलों के साथ रिश्तेदारी भी की।
ब्रिटिश काल में जोधपुर एक रियासत बन गया था, लेकिन यहां के शासकों को कुछ हद तक स्वतंत्रता भी मिली हुई थी।
सन् 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद जोधपुर ने भारत में विलय किया और राजस्थान राज्य का हिस्सा बना।
🔸 नीली नगरी क्यों कहलाता है जोधपुर?
जोधपुर को “ब्लू सिटी” या “नीली नगरी” भी कहा जाता है क्योंकि यहां पुराने शहर की अधिकांश इमारतें नीले रंग की हैं। ऐसा माना जाता है कि यह रंग:
सूर्य की रोशनी को कम आकर्षित करता है (गर्मी से बचाता है)
ब्राह्मणों द्वारा अपनाया गया धार्मिक रंग भी है
और यह दीमकों से रक्षा भी करता है
🔸 जोधपुर का व्यापारिक इतिहास CLICK HERE
इतिहास में जोधपुर एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी रहा है। यहाँ से कपड़े, मसाले, ऊँट और ऊँट-गाड़ियाँ मध्य एशिया और फारस तक भेजी जाती थीं। आज भी यह क्षेत्र कढ़ाई, बंदhej (बांधनी), और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
जोधपुर का इतिहास केवल युद्धों और किलों का ही नहीं, बल्कि कला, संगीत, लोकनृत्य और त्योहारों का भी है। यहाँ के प्रमुख उत्सव हैं:
मारवाड़ उत्सव
नागौर मेला
गणगौर
तेजा दशमी
इन पर्वों में राजस्थानी लोक संगीत, घेर घूमर, और मटकी नृत्य जैसे रंगारंग कार्यक्रम होते हैं।
🔸 आधुनिक जोधपुर
आज जोधपुर न केवल राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि एक आधुनिक शहर के रूप में भी उभर रहा है। यहाँ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और इंडस्ट्रीज़ भी विकसित हो चुकी हैं।
🔚 निष्कर्ष
जोधपुर एक ऐसा शहर है, जहाँ हर पत्थर कोई कहानी कहता है। राव जोधा की विरासत, मेहरानगढ़ की दीवारें, नीली गलियाँ और सांस्कृतिक पर्व — सब मिलकर जोधपुर को एक जीवित इतिहास का रूप देते हैं। यदि आपने अभी तक इस शहर की यात्रा नहीं की है, तो एक बार इस ऐतिहासिक नगरी का अनुभव जरूर लें।